UNTAMED
Saturday, 25 February 2017
पास हो नहि
तुम पास हो, पर हो नहीं
उदास हो, पर हो नहि
चाहत की मीनार पे नाम तो कई बार लिखा
लेकिन
साथ हो कर की भी, हो नहि
Friday, 24 February 2017
उल्फ़त
गमे उल्फ़त के तो हम भी मारे हैं
उदासी का क्या है, आती और चले जाती है
ग़म तो इस बात का है शौक़ीन
हमें ग़म की गवाही राज़ नहि आती
और उन्हें बस ग़म की वकालत आती हैं
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